Red Colour for Love: लाल रंग को प्यार का प्रतीक क्यों कहते है? यहां जानिए

क्या आप ने कभी सोचा है कि जब भी प्यार की बात होती है तो क्यों लाल रंग को ही प्यार के सिंबल के रूप में दर्शाया जाता है. हम जब भी प्यार का इजहार करते हैं तो लाल रंग का ही प्रयोग क्यों करते हैं.
Red Colour for Love: लाल रंग को प्यार का प्रतीक क्यों कहते है? यहां जानिए

Red Colour for Love: लाल रंग को प्यार का प्रतीक क्यों कहते है? यहां जानिए (Photo by form PxHere)

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Red Colour for Love:  क्या आप ने कभी सोचा है कि जब भी प्यार की बात होती है तो क्यों लाल रंग को ही प्यार के सिंबल के रूप में दर्शाया जाता है. हम जब भी प्यार का इजहार करते हैं तो लाल रंग का ही प्रयोग क्यों करते हैं. क्या वजह है! क्या प्यार और लाल रंग के बीच कोई संबंध है! क्या प्यार का रंग लाल है. आइए जानने इस प्यार के रंग के बारे में.

स्त्री को शक्ति ही नहीं प्रेम की मूर्ति भी कहा गया है एक तौर पर स्त्री ही है ,जो पुरूष को उत्तेजित करती है, उसकी खूबसरती देखने वालों की आंखों में प्यार और प्यास दोनों पैदा करती है. इतना ही नहीं बडे-बडे शायर और कवियों ने स्त्री को ही प्यार की परिभाषा व मूर्ति कहा है ,तभी तो उनकी शायरी में गजलों में स्त्री केंद्र पर रही है और तो और नक्काशियों और चित्रकारों में भी स्त्री के शरीर और रूप का प्रयोग किया गया है. यदि पुरूष को हम आसमानी रंग से दर्शाते हैं तो स्त्री को गुलाबी रंग से दर्शाते हैं। स्त्री की गुलाबी आंखें, गुलाबी गाल और गुलाबी होंठ सभी कुछ एक आकर्षण व प्यार पैदा करते हैं और जब यह प्यार और गहरा हो जाता है.

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वैसे तो गुलाब कई रंगों में पाया जाता है परंतु उसका मुख्य व नैसगिंक रंग लाल है, फूल तो कई हैं ,जो गुलाब से भी अधिक खूबसूरत और आकर्षक हें परंतु गुलाब प्रेम का प्रतीक है ,उसके पास सुगंध, रंग रूप और कोमलता है तो कांटों की चुभन व पैनापन भी है. इसी तरह प्रेम का एहसास भले ही कोमल होता है परंतु इसका मार्ग कांटों से, तकलीफों से अटा पडा है. प्रेम सुख-दुख से गुजरकर खिलने व महकने का नाम है ,और गुलाब उसी का प्रतीक है.

बच्चा चाहे इंसान का हो या पशु का जब वह पैदा होता है ,तब उसमें एक गुलाबीपन या लालपन होता है, इतना ही नहीं किसी भी फल-फूल की कली हो या पत्ती अपनी प्रारभिक अवस्था में गुलाबीपन लिए होती है। सच्चाा प्यार भी गुलाबी रंग की तरह कोमल, नया स्वच्छ और अनछुआ होता है. यह वह रंग है जो कुदरत उसे खुद देती है फिर वह नवजात शिश हो या कली-पत्ते धीरे-धीरे उनका रंग बदल जाता है. उनका गुलाबीपन उनकी सौंदर्यता को, पावनता को दर्शाता है.

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हर फल का अपना गुण धर्म होता है, जिसमें स्वाद के साथ-साथ उनमें औषधीय गुण भी विद्यमान होते हैं। हर फल किसी ना किसी रोग में हितकारी होता है. परंतु काऊर्जा को बढाने और जगाने में जिस फल की सुगंध सबसे अधिक मादक और कामुक होती है, वह है स्ट्रॉबेरी इसकी सुगंध और स्वाद के सेवन से सेक्सुअल लाइफ को बेहतर बनया जा सकता है. लाल रंग के इस फल को खाने और सूंघने से मांसपेशियों में खुद ब खुद एक उत्तेजना पैदा होने लगती है.

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