Article 370 in Hindi: भारतीय सविधान में आर्टिकल 370 (Article 370) की वजह से जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा हासिल है और आर्टिकल 370 को जवाहर लाल नेहरू की स्पेशल इन्वेस्टीगेशन से तैयार किया गया था. आज हम इस पोस्ट में आर्टिकल 370 बारे में विस्तार से बताएंगे.
Article 370 History in Hindi | आर्टिकल 370 का इतिहास
भारत जब 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ तब भारत छोटी-छोटी रियासतों में बंटा हुआ था. जिसको सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपनी कोशिशों से सभी रियोंसतों को मिलाकर एक भारतीय संघ की स्थापना की. सन 1947 में जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो उस समय जम्मू-कश्मीर को भारतीय संघ में शामिल करने की कोशिश की गई थी. लेकिन तत्कालीन जम्मू-कश्मीर के राजा हरिसिंह भारत में विलय नहीं चाहते थे. लेकिन तभी 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तानी सेना ने जम्मू-कश्मीर पर हमला कर दिया. जिसके बाद हरिसिंह ने भारत से सहायता मांगी और जम्मू-कश्मीर को भारत में विलय के लिए सहमति दी.
कैसे बना आर्टिकल 370
उस समय के सरदार पटेल के दूत गोपालस्वामी आयंगर ने संघीय संविधान सभा में जम्मू-कश्मीर की शर्तो को मिलाकर बनाये गए आर्टिकल 306A पेश किया, जो बाद में आर्टिकल 370 (Article 370) बन गया. जिसके बाद विलय की शर्तों की वजह से जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों से अलग अधिकार मिल गए. नवंबर 1956 में राज्य के संविधान का कार्य पूरा हुआ. 26 जनवरी 1957 को राज्य में विशेष संविधान लागू कर दिया गया.
आइये जानते है जम्मू कश्मीर राज्य के विशेष अधिकार के बारे में
- आर्टिकल 370 (Article 370) के मुताबिक संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है.
- जम्मू कश्मीर में किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र को वहाँ की राज्य सरकार की सहमति लेनी पड़ती है.
- राष्ट्रपति के पास जम्मू कश्मीर राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है.
- भारत का 1976 का शहरी भूमि कानून भी जम्मू-कश्मीर राज्य पर लागू नहीं होता.
- भारत के अन्य राज्यों में रहने वाले लोग जम्मू-कश्मीर राज्य में जमीन नहीं खरीद सकते हैं.
- भारतीय संविधान का आर्टिकल 360 यानी देश में वित्तीय आपातकाल (Financial emergency) जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता.
- जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकी भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है.
जम्मू-कश्मीर की जनता को उस समय आर्टिकल 370 के तहत कुछ विशेष अधिकार दिए गए थे. इसी वजह से यह राज्य भारत के अन्य राज्यों से अलग है.
आर्टिकल 370 ( Article 370) की मुख्य बातें
- जम्मू-कश्मीर राज्य का अपना झंडा अलग होता है.
- नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है.
- जम्मू-कश्मीर राज्य में भारत के राष्ट्रीय झंडा और राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान अपराध नहीं है.
- जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी कर ले तो उस महिला की जम्मू-कश्मीर की नागरिकता खत्म हो जाएगी.
- यदि कोई कश्मीरी महिला पाकिस्तान के किसी व्यक्ति से शादी करती है, तो उसके पति को भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती है.
- आर्टिकल 370 (Article 370) के कारण कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है.
- जम्मू-कश्मीर में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं.
- जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 साल होता है. जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 साल होता है.
- भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के संबंध में बहुत ही सीमित दायरे में कानून बना सकती है.
- जम्मू-कश्मीर में पंचायत के पास कोई अधिकार नहीं है.
- आर्टिकल 370 (Article 370) की वजह से जम्मू-कश्मीर में सूचना का अधिकार (आरटीआई) लागू नहीं होता.
- जम्मू-कश्मीर में शिक्षा का अधिकार (आरटीआई) लागू नहीं होता है। यहां सीएजी (CAG) भी लागू नहीं है.
- कश्मीर में अल्पसंख्यक हिन्दूओं और सिखों को आरक्षण भी नहीं मिलता है.
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Updated On: June 30, 2022 9:28 pm