भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है तिरुपति बालाजी (Tirupati Balaji) का मंदिर जो आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है. इस मंदिर में विराजमान भगवान वेंकटेश्वर स्वामी जी की मूर्ति है जिसे भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. हम यहां तिरुपति बालाजी (Tirupati Balaji ) के ऐसे 7 रहस्यों के बारे में बात करेंगे जिससे आप जानकर अभिभूत हो जाएंगे. यहां के सारे रहस्यों का जवाब वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है. आइये जानते है भगवान तिरुपति बालाजी के रहस्य-
तिरुपति बालाजी के रहस्य (Tirupati Balaji Facts in Hindi)
मूर्ति पर लगे बाल असली है
भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के मूर्ति पर लगे बाल कभी नहीं उलझते वह हमेशा मुलायम रहते हैं ऐसा क्यों होता है इसका जवाब वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है.
हजारों साल से बिना तेल का जलता दिया
मंदिर के गर्भगृह में एक दीपक जलता है आपको जानकर हैरानी होगी यह दीपक हजारों सालों से ऐसे ही जल रहा है वह भी बिना तेल के. यह बात काफी ज्यादा हैरान करने वाली है ऐसा क्यों है इसका जवाब आज तक किसी के पास नहीं है.
मंदिर के मूर्ति को पसीना आता है
मंदिर का गर्भगृह को ठंडा रखा जाता है पर फिर भी मूर्ति का तापमान 110 फॉरेनहाइट रहता है जो कि काफी रहस्यमई बात है और उससे भी बड़ी रहस्यमई की बात यह है कि भगवान मूर्ति को पसीना भी आता है जिसे समय-समय पर पुजारी पोछते रहते हैं.
भगवान की मूर्ति से समुद्र की लहरों की आवाज
भगवान वेंकटेश्वर के मूर्ति के कानों के पास अगर ध्यान से सुना जाए, तो समुद्र की लहरों की आवाज आती है. यह भी काफी विचित्र बात है.
मूर्ति बीच में है या दाई ओर है?
जब आप मूर्ति को गर्भगृह के बाहर से देखेंगे तो आपको मूर्ति दाई ओर दिखाई देगी और जब आप मूर्ति को गर्भगृह के अंदर से देखेंगे तब आपको मूर्ति मध्य में दिखेगी।
विशेष गांव से आता है फूल
तिरुपति बालाजी मंदिर से करीब 23 किलोमीटर दूर एक गांव पड़ता है इसी गांव से मंदिर के लिए फूल, फल, घी आदि जाता है इस गांव में बाहरी व्यक्ति का प्रवेश पर प्रतिबंध है और इस गांव के लोग काफी पुरानी जीवन शैली का उपयोग करते हैं.
परचाई कपूर भी बेअसर है
परचई कपूर एक खास तरह का कपूर होता है जिसे पत्थर पर लगाने पर पत्थर कुछ टाइम बाद चटक जाता है मगर इस कपूर को भगवान की मूर्ति पर लगाया जाता है और इस मूर्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता.
तिरुपति बालाजी के कुछ आश्चर्यजनक तथ्य
- मुख्यद्वार के दाएं बालरूप में बालाजी को ठोड़ी से रक्त आया था, उसी समय से बालाजी के ठोड़ी पर चंदन लगाने की प्रथा शुरू हुई.
- बालाजी को प्रतिदिन नीचे धोती और उपर साड़ी से सजाया जाता है.
- गृभगृह में चढ़ाई गई किसी वस्तु को बाहर नहीं लाया जाता, बालाजी के पीछे एक जलकुंड है उन्हें वहीं पीछे देखे बिना उनका विसर्जन किया जाता है.
- बालाजी के वक्षस्थल पर लक्ष्मीजी निवास करती हैं. हर गुरुवार को निजरूप दर्शन के समय भगवान बालाजी की चंदन से सजावट की जाती है उस चंदन को निकालने पर लक्ष्मीजी की छबि उस पर उतर आती है.
- बालाजी के जलकुंड में विसर्जित वस्तुए तिरूपति से 20 किलोमीटर दूर वेरपेडु में बाहर आती हैं.
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Updated On: April 6, 2022 10:24 am