सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि उपराज्यपाल मंत्री परिषद द्वारा सहायता और सलाह पर कार्य करने के लिए बाध्य हैं।
अदालत ने कहा कि उपराज्यपाल किसी खास मामले में विचार के मतभेदों की स्थिति में राष्ट्रपति को फाइल भेजने के लिए भी बाध्य हैं। इसके अलावा उपराज्यपाल एक ‘अवरोधक’ के रूप में कार्य नहीं कर सकते हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार को सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करना होगा। उपराज्यपाल को यह महसूस करना चाहिए कि मंत्रिपरिषद लोगों के प्रति जवाबदेह हैं और वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) की सरकार के हर निर्णय को रोक नहीं सकते हैं।
केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, दिल्ली के लोगों के लिए बड़ी जीत। लोकतंत्र के लिए बड़ी जीत। और आदेश को ऐतिहासिक फैसला करार देते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि अब शहर की सरकार सुचारु रूप से कार्य करेगी।
उन्होंने कहा, अब दिल्ली सरकार को मंजूरी के लिए उप राज्यपाल के पास अपनी फाइलें नहीं भेजनी पड़ेंगी, अब कार्य में बाधा नहीं आएगी। दिल्ली के लोगों के लिए यह बड़ी जीत है।
सिसोदिया ने कहा, दिल्ली को शक्तियां फिर से मिल गईं। यह फैसला उपराज्यपाल की मनमानी के खिलाफ आया है। मैं सर्वोच्च न्यायालय को धन्यवाद देता हूं। लोकतंत्र के लिए यह बड़ी जीत है।
केजरीवाल कुछ अन्य मंत्रियों के साथ उपराज्यपाल के आवास पर 11 से 19 जून तक धरने पर बैठे थे। वह हड़ताल पर गए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई और शहर सरकार की राशन योजना को मंजूरी देने की मांग कर रहे थे।