सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा को 224 सदस्यीय कर्नाटक असेंबली में समर्थन साबित करने के लिए कल शनिवार शाम ४ बजे फ्लोर टेस्ट करने का निर्देश दिया है। और इसके साथ ही कहा, बी एस येदियुरप्पा सरकार न तो कोई नीतिगत फैसला लेगी और न ही एंग्लो-इंडियन व्यक्ति को विधानसभा में सदस्य मनोनीत करेगी। और इस तरह उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें उन्होंने बीएस येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया था।
न्यायमूर्ति ए के सिकरी, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन की याचिका पर यह अंतरिम आदेश दिया। न्यायालय ने राज्य की भाजपा सरकार की गुप्त मतदान की केंद्र सरकार की मांग खारिज कर दी।
कर्नाटक में अभी भाजपा के पास 104, कांग्रेस के पास 78 और जेडीएस+बसपा के पास 38 विधायक हैं। बहुमत के लिए 112 का आंकड़ा जरूरी है। शीर्ष अदालत ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को सभी विधायकों को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया है।
शीर्ष अदालत ने बहुमत के लिए जरूरी विधायकों के न होने के बावजूद किसी एकल बड़ी पार्टी को राज्यपाल द्वारा आमंत्रित किये जाने के मुद्दे पर 10 सप्ताह बाद सुनवाई करने का फैसला लिया है।
इससे पहले 18 मई को सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई सुनवाई के दौरान बीजेपी की तरफ से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने येदियुरप्पा की चिट्ठियां सुप्रीम कोर्ट को सौंपी और कहा कि बीजेपी के पास बहुमत है.
वहीं, सुनवाई के दौरान जस्टिस एके सीकरी ने रोहतगी से कहा कि ‘बीजेपी ने तो सिर्फ बहुमत की बात की है, जबकि कांगेस जेडीएस ने तो पूर्ण बहुमत की चिट्ठी दी थी.’ उन्होंने पूछा कि राज्यपाल ने किस आधार पर बीजेपी को न्योता दिया? शीर्ष न्यायालय ने कहा, ‘जनादेश सबसे महत्वपूर्ण है. सरकार बनाना नंबर का खेल है. राज्यपाल तय करेंगे कि नंबर किसके पास है.’
वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने भाजपा की दलील का विरोध करते हुए कहा कि ये महत्वपूर्ण है कि पहले सरकार बनाने का न्योता किसे दिया जाए. सिंघवी ने पूछा, ‘भाजपा के पास अगर बहुमत है, तो लिखित है या फिर जुबानी?’ सिंघवी ने जजों के सामने कहा कि कांग्रेस शक्ति परीक्षण के लिए तैयार है और उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग कराई जाए.