पंजाब ने हाल ही में लगभग 3,000 पराली जलाने (Stubble Burning) के मामले दर्ज किए हैं। रविवार को इस संख्या में तेज़ गिरावट देखी गई । राज्य में रविवार को पराली जलाने के 599 मामले दर्ज किए गए, जो 25 अक्टूबर के बाद सबसे कम और पिछले दिन की तुलना में चार गुना कम है। रविवार को राज्य भर के खेतों में पराली जलाने के केवल 599 मामले सामने आए, जो शनिवार से 79% कम है। चार जिलों में शून्य मामले थे।
पंजाब में 28 अक्टूबर से प्रतिदिन 2,000 से 3,000 के बीच स्टबल बर्निंग के मामले थे । 2 नवंबर को कुल 3,634 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए, जो सीजन में सबसे अधिक सिंगल-डे के मामले थे। इसके बाद 2,666, 2,437 और 2,817 मामले 3, 4, और 5 नवंबर, क्रमशः, दर्ज किए गए।
अमृतसर, गुरदासपुर, मोहाली और पठानकोट में रविवार को पराली जलाने का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया। जबकि रूप नगर ने ऐसा एक मामला दर्ज किया, होशियारपुर और फरीदकोट में दो-दो मामले दर्ज किए गए।
जालंधर और कपूरथला में पांच-पांच मामले दर्ज किए गए, जबकि नवांशहर और तरनतारन में क्रमशः छह और नौ मामले दर्ज किए गए। रविवार को मनसा और संगरूर में क्रमश: 130 और 108 फील्ड फायर के मामले दर्ज किए गए।
हालांकि, पंजाब कृषि विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार, कई जिलों में बादल छाए रहने के कारण राज्य के सभी खेतों की तस्वीरें लेने में सैटलाइट्स असमर्थ रहीं ।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का कहना है कि पंजाब के प्रमुख शहरों के एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) में “मध्यम” और “खराब” श्रेणियों के बीच उतार-चढ़ाव रहा।
रूपनगर, पटियाला, मंडी गोबिंदगढ़, जालंधर और खन्ना क्रमशः 128, 130, 146, 150 और 166 AQI के साथ मध्यम श्रेणी में थे, जबकि लुधियाना और अमृतसर खराब श्रेणी (207 AQI प्रत्येक) में थे। चंडीगढ़ ने 194 AQI (मध्यम श्रेणी) दर्ज किया है।