26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानो पर भारतीय वायु सेना ने मिराज से स्पाइस-2000 बम गिराए थे. इस हमले में जैश के काफी आतंकी मारे गए और उनके ट्रेनिंग कैंप भी तबाह हो गए थे.अब स्पाइस-2000 बम को भारतीय वायु सेना के सुखोई-30एमकेआइ फाइटर जेट में भी लगाने की खबर है. लेकिन क्या आपको स्पाइस-2000 बम के खासियत के बारे में पता है या स्पाइस-2000 किस तरह से हवा में काम करता है? अगर नहीं पता है तो, आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताएंगे.
आइए हम आपको बताते हैं कि स्पाइस-2000 कैसे काम करता है-
स्पाइस-2000 बम का निर्माण इजरायल में होता है, जिसका इस्तेमाल हमारी भारतीय वायु सेना करती है. इजरायल की फर्म राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स लिमिटेड द्वारा निर्मित इन बमों का उपयोग मिराज 2000 द्वारा किया जाता है. स्पाइस-2000 की सबसे बड़ी खासियत यह है कि, ये बम लेजर टेक्नोलॉजी से लैस है।
स्पाइस-2000 की खासियत यह है कि यह एक ‘गाइडेंस किट’ है. स्पाइस गाइडेंस किट में दो पार्ट्स होते हैं. किट के पहले भाग की नोक पर एक कैमरा लगा होता है. जबकि दूसरे भाग पर डेटा चिप लगी होती है, जो स्पाइस-2000 को बम छोड़ने का सही समय बताती है.
स्पाइस-2000 में टारगेट की सही तस्वीर और टागरेट से जुड़ी तमाम जानकारियां होती हैं, ताकि बम को सही दिशा में छोड़ा जाए और टारगेट तक पहुंचाया जाए.
स्पाइस 2000 को ‘डीकैपिटेटिंग वेपन’ भी कहा जाता है जो सटीक हमले के लिए जाना जाता है और दुश्मन के अड्डे को एक झटके में खत्म करने के लिए डिजाइन किया गया है.
अभी तक इस बम का इस्तेमाल सिर्फ मिराज में किया जाता हैं, लेकिन अब इस बम का इस्तेमाल सुखोई-30एमकेआइ फाइटर जेट में भी होगी जिससे भरतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा होगा।