Sawan 2023: हिंदू कैलेंडर में सावन के महीने में आने वाले चार या पांच सोमवार का विशेष महत्व है. सावन में वेद पाठ और धर्म ग्रंथों का अध्ययन फलदायी माना गया हैं. सावन के महीने (Sawan 2023) में पूजा या व्रत एक तरह से प्रकृति का पूजन है. शिव को खुद ही प्रकृति का रूप कहा गया है. इस कारण सावन के महीने में शिव भगवान की पूजा विशेष रूप से की जाती है.
सावन के महीने में अत्यधिक वर्षा होने से भगवान भोलेनाथ का जल से विशेष अभिषेक किया जाता है. आइए जानते है कि सावन के महीने में शंकर भगवान की पूजा है इसका क्या महत्व है…
क्यों करते हैं सावन में शिव पूजन?
धार्मिक पुराणों के मुताबिक, समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत को पाने के लिए सभी लालायित थे. लेकिन जब विष निकला तो भगवान शिव ही इसे पीने के लिए आगे आए. उन्होंने जब विष ग्रहण किया, तो वह सावन का महीना था. विष पीने के बाद शिवजी के तन में गर्मी बढ़ गई और सभी देवी-देवताओं और शिव के भक्तों ने उनको शीतलता प्रदान करने की कोशिश की. लेकिन भोले बाबा को शीतलता नहीं मिली. तब महादेव ने चंद्रमा को अपने सिर पर धारण किया और उन्हें शीतलता मिली. इस दौरान इंद्र देव ने भी खूब वर्षा की जिससे भगवान शिव को बहुत शांति मिली. तब से भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन का महीना मनाया जाता है. सावन महीने के हर सोमवार को शिवजी को जल अर्पित कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है.
सावन के महीने का महत्व
हिंदू धर्म में सावन माह में भगवान शंकर का पूजन होता है. इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार, देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से अपने शरीर का त्याग किया था. अपने शरीर के त्याग करने से पहले देवी ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण लिया था.
इसके बाद राजा हिमालय और रानी मैना के घर में देवी सती ने पार्वती के नाम से अपना दूसरे जन्म लिया. देवी पार्वती ने युवा अवस्था में सावन के माह में कठोर व्रत किया. भोलेनाथ पार्वती के कठोर व्रत से प्रसन्न हुए और इस तरह सावन में सोमवार के व्रत रखे जाने लगें. मान्यता है कि कोई कुंवारी लडक़ी या जिस लडक़ी का विवाह नहीं हो रहा हो, वह यह व्रत पूरी श्रद्धा से करे तो जल्द विवाह हो जाता है और अच्छा जीवन साथी मिलता है.
सावन में शिव मंदिर में ऐसे करें पूजा
- सावन में शिव पूजा के लिए सुबह-सवेरे नहा-धोकर शिव मंदिर जाएं.
- वहां शिव लिंग पर पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर) कर से शिव का स्नान कराना चाहिए.
- इसके बाद जल से शुद्ध स्नान करवाया जाता है। इसके बाद जनेऊ और वस्त्र अर्पित किया जाता है.
- इसके बाद चंदन, फूल, 108 चावल के दाने, पान पत्ता, लौंग, इलायची, सुपारी, काले तिल, भांग के पत्ते, बिल्व पत्र, धतूरे के फल-फूल और ऋतु फल चढ़ाने चाहिए.
- शिव पूजा में केले और दूध का विशेष महत्व है.
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