पाकिस्तान (Pakistan) की ऊल जलूल हरकतों से तंग आकर आखिरकार सऊदी अरब (Saudi Arabia) ने बड़ा कदम उठा लिया है. इसके तहत सऊदी अरब ने हाल ही में पाकिस्तान से एक बिलियन अमेरिकी डॉलर की वसूली की है, जो उसने डेढ़ साल पहले पाकिस्तान (Pakistan) को बतौर कर्ज दिया था. पाकिस्तान के ऊपर सऊदी अरब का करीब तीन बिलियन डॉलर का कर्ज था, जिसे अब वो पाकिस्तान से वसूल रहा है.
सऊदी अरब की ओर से उठाया कदम इस बात की तरफ इशारा करता है कि पाकिस्तान बेहद तेजी से मुस्लिम देशों (Islamic Countries) का विश्वास खोता जा रहा है. इसी वजह से सऊदी अरब ने अपने लोन की रकम की वसूली शुरू कर दी है, जो उसने पाकिस्तान को दिए थे. सऊदी अरब ने पाकिस्तान को ये रकम उस समय दी थी, जब पाकिस्तान को विदेशी कर्ज भरने के लिए धन की बेहद सख्त जरूरत थी.
पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने इस बारे में खबर छापी और लिखा है कि अब सऊदी अरब पाकिस्तान की मदद से अपने हाथ पीछे खींच रहा है. सऊदी अरब की तरफ से ये कदम ऐसे समय पर उठाया गया है, जब पाकिस्तान इस्लामिक देशों के समूह ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉपरेशन (Organization Of Islamic Cooperation) में भारत के खिलाफ लामबंदी में जुटा है. पाकिस्तान पिछले एक साल से ओआईसी में भारत के खिलाफ जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) राज्य से आर्टिकल 370 हटाने के खिलाफ समर्थन मांग रहा है, लेकिन उसे यहां जोरदार झटका लगा और कोई भी देश पाकिस्तान की मदद के लिए खड़ा नहीं हुआ.
पाकिस्तानी अखबार डॉन में पाकिस्तान के राजनयिक सूत्र के हवाले से छपे लेख में लिखा है कि सऊदी अरब ने पाकिस्तान के उस अनुरोध को नकार दिया, जिसमें कश्मीर मुद्दे को आईओसी में उठाने का आग्रह किया गया था.
पाकिस्तान को आईओसी में सपोर्ट न मिलने के बाद 22 मई को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने कहा था कि इस्लामिक देशों में एकजुटता नहीं है. यहां तक कि हम आईओसी में कश्मीर मुद्दे तक को नहीं उठा सके.
एक तरफ पाकिस्तान जहां मुस्लिम देशों का भरोसा खोता जा रहा है, तो वहीं चीन उसकी मदद के नाम पर पूरा फायदा उठा रहा है और पाकिस्तान को आर्थिक मदद देने के नाम पर अपना आर्थिक उपनिवेश बना रहा है. सऊदी अरब के हाथ खींच लेने के बाद चीन ने पाकिस्तान को एक बिलियन डॉलर की न सिर्फ लोन के तौर पर मदद दी, बल्कि सीपीईसी (China-Pak Economic Corridor) के तहत 6.5 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त निवेश भी किया है.