निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में चार दोषियों की फांसी की सजा सर्वोच्च कोर्ट ने बरकरार रखी। पांच मई, 2017 को सुनाई गई फांसी की सजा वापस लेने के लिए दोषियों की तरफ से दाखिल याचिका खारिज करते हुए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर. भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि समीक्षा याचिका में पुनर्विचार के आधार नहीं हैं।
फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति भूषण ने कहा कि समीक्षा याचिका के जरिए अदालत द्वारा न्याया देने में हुई त्रुटि को दिखाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोषियों द्वारा दाखिल याचिकाओं में अदालत की गलती का कोई जिक्र नहीं किया गया है।
आपको बता दे कि, दिल्ली में 16 दिसम्बर रविवार की रात चलती बस में एक लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। यह घटना उस वक्त हुई जब लड़की फिल्म देखने के बाद अपने पुरुष मित्र के साथ बस में सवार होकर मुनीरका से द्वारका जा रही थी। लड़की के बस में बैठते ही लगभग पांच से सात यात्रियों ने उसके साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी। उस बस में और यात्री नहीं थे।
लड़की के मित्र ने उसे बचाने की कोशिश की, लेकिन उन लोगों ने उसके साथ भी मारपीट की और लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। बाद में इन लोगों ने लड़की और उसके मित्र को दक्षिण दिल्ली के महिपालपुर के नजदीक वसंत विहार इलाके में बस से फेंक दिया। इस घटना से देश भर में आक्रोश पैदा हो गया था। निर्भया की सिंगापुर की एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
अदालत ने यह भी कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय की फांसी की सजा के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई में 38 दिन लगे थे, क्योंकि चारों दोषियों के वकीलों को उनके पक्ष रखने का पूरा मौका दिया गया था।