महाराष्ट्र पुलिस ने सुशांत सिंह राजपूत के पिता पर लगाया यह गंभीर आरोप, जानें क्या कहा

Sushant Singh Rajput Case: महाराष्ट्र पुलिस ने आगे सुशांत के पिता पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे सोच-समझ कर आरोप लगा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में अब 11 अगस्त को इस मामले की सुनवाई होगी.
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महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) ने सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के पिता के के सिंह (K K Singh) पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दिए अपने हलफनामे में महाराष्ट्र पुलिस (Maharashtra Police) ने कहा है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के फौरन बाद न तो सुशांत के पिता और न ही किसी नजदीकी रिश्तेदार ने बयान दर्ज करवाया. किसी ने तब आत्महत्या पर कोई संदेह नहीं जताया और न ही इस मामले में किसी दूसरे व्यक्ति पर शक जाहिर किया.

महाराष्ट्र पुलिस ने आगे सुशांत के पिता पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे सोच-समझ कर आरोप लगा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में अब 11 अगस्त को इस मामले की सुनवाई होगी. महाराष्ट्र सरकार ने हलफनामे के साथ सील बंद लिफाफे में अबतक की जांच का पूरा ब्योरा भी सुप्रीम कोर्ट में जमा किया. अपने हलफनामे में महाराष्ठ्र सरकार ने सीबीआई जांच (CBI Investgation) का विरोध किया है. साथ ही बिहार सरकार (Bihar Government) के रवैये पर भी आपत्ति जाहिर की है.

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सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्य सरकारों से जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा था

बता दें सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई में महाराष्ट्र पुलिस और बिहार पुलिस से तीन के अंदर जांच रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था. उद्धव सरकार हलफनामे में कहा है कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित था तो ऐसे में केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार करना चाहिए था. सुप्रीम कोर्ट को मुंबई पुलिस की जांच के आधार पर तय करना है कि जांच सही हो रही है या नहीं. जांच कौन करेगा ये भी सुप्रीम कोर्ट को तय करना है. ऐसे में केंद्र सरकार ने कोर्ट के आदेश का इंतजार किए बिना सीबीआई को जांच क्यों सौंप दिए?

क्यों सीबीआई जांच के आदेश दिए?

महाराष्ट्र सरकार ने हलफनामे में कहा है कि सीबीआई जांच के लिए इतनी जल्दबाजी क्यों की जा रही है? सीबीआई जांच का आदेश गैरकानूनी है. केके सिंह ने कभी भी मुंबई पुलिस से एफआईआर दर्ज करने को नहीं कहा. अगर वह एफआईआर दर्ज करने की मांग करते और पुलिस उन्हें मना करती तो उनको बिहार या कहीं और एफआईआर दर्ज कराने का अधिकार था, लेकिन उन्होंने मुंबई पुलिस से कभी ऐसी मांग की ही नहीं. सुशांत की मौत के 38 दिनों बाद अचानक पटना में एफआईआर दर्ज करा दिया. जबकि, मुंबई पुलिस संदिग्ध मौत का मामला दर्ज कर जांच कर रही थी. केके सिंह ने ये जानते हुए भी पटना में मुकदमा दर्ज करवाया. मुंबई पुलिस ने अब तक 56 लोगों से पूछ ताछ कर ली है.

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मुंबई पुलिस का साफ कहना है कि मुंबई में राज्‍य की सहमति के बिना सीबीआई जांच नहीं कर सकती है. पुलिस का कहना है कि उनके पास मौत के मामले में जांच करने के लिए विशेष क्षेत्राधिकार है. उनका कहना है कि अगर सुशांत के पिता ने मुंबई पुलिस से संपर्क किया होता तो एफआईआर दर्ज की जाती. मुंबई पुलिस ने बिहार सरकार पर एफआईआर दर्ज करने और सीबीआई जांच की सिफारिश करने में दुर्भावना का आरोप लगाया.

Source: News 18

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