कोरोना वैक्‍सीन के परीक्षण में भारतीय मूल के दीपक पालीवाल ने लगाई अपनी जान की बाजी

Coronavirus Vaccine: यूनाइटेड किंगडम में रहने वाले भारतीय मूल के दीपक पालीवाल ऐसे ही इंसान हैं. जिन्‍होंने ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी वैक्‍सीन ट्रायल में वालंटियर बनने के लिए हामी भर दी.
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पुरे विश्व में कोरोना वायरस ने कहर मचा रखा है. इस बीमारी पर रोकथाम लगाने के लिए हमारे डॉक्टर्स इसके वैक्सीन की खोज में लगे हुए हैं. कहीं पर कोरोना वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) बनने के अंतिम चरण में है तो कहीं पर इस वायरस के वैक्सीन का इंसानो पर परिक्षण भी शुरू हो गया है. इसी क्रम में कुछ ऐसे लोग है जो अपनी जान की परवाह न करते हुए इंसानियत की मदद कर रहे है और अपनी जान दांव पर लगा रहे है.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों को इस कोरोना वैक्सीन के पूरी तरह सफल होने का भरोसा है. साथ ही उन्हें भरोसा है कि सितंबर 2020 तक यह वैक्सीन लोगों को उपलब्ध करा दी जाएगी. यूनाइटेड किंगडम में रहने वाले भारतीय मूल के दीपक पालीवाल (Deepak Paliwal) ऐसे ही इंसान हैं. जिन्‍होंने ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी वैक्‍सीन ट्रायल में वालंटियर बनने के लिए हामी भर दी. आइये जानते है कि दीपक पालीवाल कौन है ?

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दीपक पालीवाल कौन है ?

42 वर्षीय दीपक पालीवाल भारतीय मूल के जयपुर के रहने वाले है. इन्होने कोविड-19 वैक्सीन के परीक्षण के लिए अपनी जान दांव पर लगी दी. दीपक कोरोना वैक्सीन के परीक्षण के लिए वॉलंटियर बने और अपने शरीर पर कोविद 19 वैक्सीन का परीक्षण करवाया. कोरोना वैक्सीन के पहले सफल मानवीय परीक्षण में शामिल हुए. दीपक इस समय लंदन में एक फार्मा कंपनी में कंसल्टेंट के तौर पर काम करते हैं.

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ZEE NEWS के साथ बात करते हुए दीपक ने बताया कि उन्हें पता था कि उनकी जान खतरे में है लेकिन उन्होंने निश्चय कर लिया था कि मानव जाति के कल्याण के लिए कुछ करना है.

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इसके आगे दीपक ने बताया, “डर तो थोड़ा लगा लेकिन मैंने निश्चय कर लिया था कि कुछ करना है. सबसे बड़ा डर यही था कि हम लोग यहां ब्रिटेन में अकेले हैं और माता-पिता भारत (जयपुर) में हैं. अगर कुछ भी गड़बड़ हुआ तो कौन जिम्मेदार होगा. न वो लोग हमें देख सकते हैं, न हम वहां जा सकते हैं. बाकी हर क्लीनिकल ट्रायल में जोखिम होता है. अगर जोखिम के चलते क्लीनिकल ट्रायल में भाग नहीं लिया गया तो कोई ट्रायल नहीं हो पाएगा.”

दीपक ने आगे बताया, “मार्च में हर जगह से कोरोना को लेकर निगेटिव खबरें आ रही थीं. कोरोना वैक्सीन को लेकर एक ह्यूमन ट्रायल चल रहा था. मैंने उसमें हिस्सा लेने का निश्चिय किया. उद्देश्य सिर्फ यही था कि अगर हमारी वजह से कुछ अच्छा हो सकता है, तो हो जाए.” दीपक ने अपने परिवार को भी ट्रायल में भाग लेने के बारे में जानकारी नहीं दी थी.

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