Krishna Janmashtami 2022 Date: हिन्दू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का बहुत बड़ा महत्व हैं. भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को हुआ था. इसलिए भगवान कृष्ण के जन्मदिन को हम कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से मनाते हैं. इस साल जन्माष्टमी का त्यौहार 19 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की विशेष रूप से पूजा की जाती है. जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को झूला झूलाते और मंदिरों में झांकी भी लगाते हैं. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण अपने भक्तों पर अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं. इस दिन भक्त और श्रद्धालु भगवान् कृष्ण को खुश करने के लिए व्रत भी रखते है.
जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त (Krishna Janmashtami Date and Time)
- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तिथि: – 19 अगस्त 2022
- निशीथ पूजा मुहूर्त : 24:03:00 से 24:46:42 तक
- अवधि : 0 घंटे 43 मिनट
- जन्माष्टमी पारणा मुहूर्त : 05:52:03 के बाद 20, अगस्त को
कृष्ण जन्माष्टमी पूजन विधि
- बाल कृष्ण को दूध से स्नान कराएं.
- इसके बाद बारी-बारी से दही, घी, शहद से नहलाएं.
- इसके बाद गंगाजल से स्नान कराएं. इन सभी चीजों से बाल गोपाल का स्नान कराने के बाद उसे फेकें नहीं. बल्कि उसे पंचामृत के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.
- स्नान के बाद बाल गोपाल को बच्चे की तरह सजाएं.
- सबसे पहले बाल गोपाल को लंगोट पहनाएं और उसके बाद उन्हें वस्त्र पहनाएं.
- इसके बाद उन्हें गहने पहनाकर सजाएं.
- भगवान कृष्ण के भजन गाएं और चंदन और अक्षत से तिलक लगाएं.
- धूप, दीप दिखाएं और माखन मिश्री और तुलसी पत्ता का भोग लगाएं.
- अब बाल गोपाल को झूले पर बिठाकर झुलाएं और जय कन्हैया लाल की गाएं.
- जन्माष्टमी के दिन रातभर भजन कीर्तन की जाती है.
कृष्ण आरती (Krishna Aarti)
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली
लतन में ठाढ़े बनमाली, भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक
ललित छवि श्यामा प्यारी की।।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
आरती कुंजबिहारी की।।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग
अतुल रति गोप कुमारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच
चरन छवि श्रीबनवारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।।
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।।
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद
टेर सुन दीन भिखारी की।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।।
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।।
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