पिछले साल नवंबर के महीने में जब राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसला आया तो सभी राम भक्त ख़ुशी के मारे झूमने लगें. और उसी समय से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया में तेजी आ गई. अब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की नींव रखने के लिए देश के प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बुलाया गया है.
आपको बता दें, राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखने के लिए 5 अगस्त 2020 का दिन तय किया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राम मंदिर के डिजाइन में भी कुछ बदलाव किया गया है. पहले मंदिर की ऊंचाई 20 फीट थी अब उसे बढ़ाकर 161 फीट कर दिया गया है. इसके साथ ही अब मंदिर में तीन मंडप की जगह पांच मंडप होंगे.
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श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए गठित होने वाले ट्रस्ट का नाम है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार 5 फरवरी 2020 को लोकसभा में राम मंदिर पर चर्चा के दौरान घोषणा की कि राम मंदिर के लिए बनने वाले ट्रस्ट का नाम ‘श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ होगा. इस ट्रस्ट में कुल 15 सदस्य होंगे.
पहले राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को 2.77 एकड़ की ज़मीन दी गई थी. लेकिन अयोध्या एक्ट, 1993 के तहत इस तीर्थ के लिए 67.703 एकड़ ज़मीन अधिग्रहीत होगी. यानी 70 एकड़ या 2 लाख 83 हज़ार वर्गमीटर से ज़्यादा क्षेत्र में इस तीर्थ का फैलाव होगा. इसके साथ ही अयोध्या का राम मंदिर क्षेत्रफल के हिसाब से विश्व का तीसरा सबसे बड़ा मंदिर होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया के दो सबसे बड़े हिंदू मंदिर (Hindu Temple) कौन से हैं? अगर नहीं हो आज हम इसके बारे में पुरे विस्तार से बताएंगे-
दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर है अंगकोर वाट
कंबोडिया में अंगकोर वाट मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है. इसका पूरा क्षेत्रफल 162.6 हेक्टेयर (1,626,000 वर्ग मीटर; 402 एकड़) है. इस मंदिर को मूल रूप से खमेर साम्राज्य के राजा सूर्यवर्मन बनवाया था. भगवान विष्णु को समर्पित मूलत: हिंदू मंदिर था, जो धीरे-धीरे 12 वीं शताब्दी के अंत में बौद्ध मंदिर में परिवर्तित हो गया था. यह कंबोडिया के अंकोर में है जिसका पुराना नाम ‘यशोधरपुर’ था.
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यह विष्णु मन्दिर है, जबकि इसके पूर्ववर्ती शासकों ने प्रायः शिवमंदिरों का निर्माण किया था. मीकांग नदी के किनारे सिमरिप शहर में बना यह मंदिर आज भी संसार का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है जो सैकड़ों वर्ग मील में फैला हुआ है. राष्ट्र के लिए सम्मान के प्रतीक इस मंदिर को 1953 से कंबोडिया के राष्ट्रध्वज में भी स्थान दिया गया है.
इसकी दीवारों पर भारतीय धर्म ग्रंथों के प्रसंगों का चित्रण है. इन प्रसंगों में अप्सराएं बहुत सुंदर चित्रित की गई हैं, असुरों और देवताओं के बीच समुद्र मन्थन का दृश्य भी दिखाया गया है. विश्व के सबसे बड़े लोकप्रिय पर्यटन स्थानों में से एक होने के कारण इस मंदिर को यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में शामिल किया गया है.
विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है श्रीरंगम
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर या श्रीरंगम मंदिर दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में तिरुचिरापल्ली शहर में स्थित है. यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, जहां स्वयं भगवान विष्णु शेषनाग शैय्या पर विराजे हुए हैं.
मंदिर की वेबसाइट के अनुसार, श्रीरंगम को दुनिया का सबसे बड़ा क्रियाशील हिन्दू मंदिर माना जा सकता है क्योंकि इसका क्षेत्रफल लगभग 6,31,000 वर्ग मी (156 एकड़) है जिसकी परिधि 4 किमी (10,710 फीट) है. श्रीरंगम सबसे बड़ा क्रियाशील मंदिर होने का दावा करता है क्योंकि अंगकोर वाट दुनिया का सबसे बड़ा लेकिन गैर-क्रियाशील हिन्दू मंदिर है.
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श्रीरंगम मंदिर का परिसर 7 संकेंद्रित दीवारी अनुभागों और 21 गोपुरम से बना है. मंदिर के गोपुरम को राजगोपुरम कहा जाता है और यह 236 फीट (72 मी) है जो एशिया में सबसे लम्बा है.
Input from Wikipedia and News 18