Karwa Chauth 2021 Date: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, सुहागिनों का पर्व करवा चौथ (Karwa Chauth) कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. इस साल भारत में करवा चौथ 24 अक्टूबर 2021 को मनाया जाएगा. करवा चौथ के दिन सुहागिन औरतें अपने पति की लम्बी उम्र के लिए पुरे दिनभर बिना कुछ खाए पिए व्रत रखती है.
इस दिन विवाहित महिलाएं भगवान गणेश सहित भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा करती हैं और देर शाम को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद अपना उपवास खत्म करती है. यह पर्व पूरे उत्तर भारत के साथ-साथ अब विश्व के कुछ देशों में भी ज़ोर-शोर से मनाया जाता है.
Karwa Chauth 2021 Date
इस बार करवा चौथ बुधवार 24 अक्टूबर 2021 को मनाया जाएगा है. करवा चौथ उवापस के समय का मुहूर्त सुबह 6.35 से रात को 8.07 बजे तक है.
- पूजा का मुहूर्त- 5 बजकर 43 मिनट से लेकर 6 बजकर 50 मिनट तक
- पूजा की अवधि- 1 घंटे 7 मिनट
Karwa Chauth 2020 Muhurat
करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:34 बजे से 06:52 बजे के बीच है.
Karwa Chauth 2020 Moon Time
करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का समय शाम 8.07 pm होगा. सुहागिन औरतें चंद्र को अर्घ्य अर्पण करने के बाद ही अपना उपवास तोड़ती है.
करवा चौथ व्रत धारण मंत्र
मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।
करवा चौथ पूजन हेतु निम्न मंत्र बोलें
‘ॐ शिवायै नमः’ से पार्वती का,
‘ॐ नमः शिवाय’ से शिव का,
‘ॐ षण्मुखाय नमः’ से स्वामी कार्तिकेय का,
‘ॐ गणेशाय नमः’ से गणेश का तथा
‘ॐ सोमाय नमः’ से चंद्रमा का पूजन करें।
करवा चौथ व्रत के नियम
- यह व्रत सूर्योदय से पहले से शुरू कर चांद निकलने तक रखना चाहिए और चन्द्रमा के दर्शन के पश्चात ही इसको खोला जाता है.
- शाम के समय चंद्रोदय से 1 घंटा पहले सम्पूर्ण शिव-परिवार (शिव जी, पार्वती जी, नंदी जी, गणेश जी और कार्तिकेय जी) की पूजा की जाती है.
- पूजन के समय देव-प्रतिमा का मुख पश्चिम की तरफ़ होना चाहिए तथा स्त्री को पूर्व की तरफ़ मुख करके बैठना चाहिए.
करवा चौथ व्रत की कथा
बहुत समय पहले की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी. सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे. यहाँ तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे. एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी. शाम को भाई जब अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी. सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्य देकर ही खा सकती है. चूँकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है.
सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है. दूर से देखने पर वह ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे चतुर्थी का चाँद उदित हो रहा हो. इसके बाद भाई अपनी बहन को बताता है कि चाँद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो. बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चाँद को देखती है, उसे अर्घ्य देकर खाना खाने बैठ जाती है.
वह पहला टुकड़ा मुँह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है. दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुँह में डालने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है. वह बौखला जाती है. उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ. करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने ऐसा किया है.
सच्चाई जानने के बाद करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी. वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है. उसकी देखभाल करती है. उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है.
एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है. उसकी सभी भाभियाँ करवा चौथ का व्रत रखती हैं. जब भाभियाँ उससे आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्येक भाभी से ‘यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो’ ऐसा आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कह चली जाती है.
इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है. यह भाभी उसे बताती है कि चूँकि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा न कर दे, उसे नहीं छोड़ना. ऐसा कह के वह चली जाती है.
सबसे अंत में छोटी भाभी आती है. करवा उनसे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह टालमटोली करने लगती है. इसे देख करवा उन्हें जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है. भाभी उससे छुड़ाने के लिए नोचती है, खसोटती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती है.
अंत में उसकी तपस्या को देख भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी अँगुली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुँह में डाल देती है. करवा का पति तुरंत श्रीगणेश-श्रीगणेश कहता हुआ उठ बैठता है. इस प्रकार प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के माध्यम से करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है. हे श्री गणेश माँ गौरी जिस प्रकार करवा को चिर सुहागन का वरदान आपसे मिला है, वैसा ही सब सुहागिनों को मिले.
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Updated On: February 25, 2023 10:11 pm