अच्छी खबर: उत्तर प्रदेश का एक ऐसा गांव, जहां हर घर में हैं एक IAS या IPS अफ़सर

पूरे विश्व में कोरोना वायरस संकट के कारण लोगों में नकारात्मक सोच घर करने लगी होगी. इसलिए आज हम आपके लिए एक ऐसी सकारात्मक ऊर्जा से भरी कहानी लेकर आएं है.
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पूरे विश्व में कोरोना वायरस संकट के कारण लोगों में नकारात्मक सोच घर करने लगी होगी. इसलिए आज हम आपके लिए एक ऐसी सकारात्मक ऊर्जा से भरी कहानी लेकर आएं है. जिन्हें पढ़ने के बाद आपके मन से जितने भी नकारात्मक सोच आ रहे हैं वो अपने आप खत्म हो जाएगी और जीवन मे कुछ करने इच्छा और प्रबल हो जाएगी.

आज हम उत्तर प्रदेश के ऐसे गांव के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसके बारे में जानकर आपको बेहद हैरानी होगी साथ ही गर्व भी होगा। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले का एक छोटा सा गांव है माधोपट्टी. इस गांव की खासियत ये है कि इस गांव में मात्र 75 घर हैं और इस गांव ने देश को अब तक 47 आईएएस और आईपीएस ऑफिसर दिए हैं. ये सभी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के कार्यालयों में कार्यरत हैं.

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इस गांव के नाम एक और रिकॉर्ड दर्ज है. एक ही परिवार के चार भाइयों ने आईएएस की परीक्षा पास कर नया रिकॉर्ड कायम किया था. सिरकोनी विकास खण्ड का यह गांव देश के दूसरे गांव के लिए रोल मॉडल है.

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1914 में गाँव के युवक मुस्तफा हुसैन पीसीएस में चयनित हुए थे. इसके बाद 1952 में इन्दू प्रकाश सिंह का आईएएस की 13वीं रैंक में चयन हुआ. इन्दू प्रकाश के चयन के बाद गाँव के युवाओं में आईएएस-पीसीएस के लिए जैसे होड़ मच गई. इन्दू प्रकाश सिंह फ्रांस सहित कई देशों में भारत के राजदूत भी रहे. अफ़सरों वाला गाँव कहने पर यहां के लोग ख़ुशी से फूले नहीं समाते हैं.

माधोपट्टी के डॉ. सजल सिंह बताते हैं, “ब्रिटिश हुकूमत में मुर्तजा हुसैन के कमिश्नर बनने के बाद गांव के युवाओं को प्रेरणास्त्रोत मिल गया. उन्होंने गांव में जो शिक्षा की अलख जगाई वो आज पूरे देश में नजर आती है.”

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जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर पूर्व दिशा में स्थित माधोपुर पट्टी गांव में एक बड़ा सा प्रवेश द्वार गांव के खास होने की पहचान कराता है. करीब 800 की आबादी वाले राजपूतों के इस गांव में अक्सर लाल-नीली बत्ती वाली गाड़ियां नजर आती हैं. बड़े-बड़े पदों पर पहुंचने के बाद भी ये अधिकारी अपना गांव नहीं भूले हैं.

पीसीएस अधिकारियों की फौज है ये गांव

यहां से केवल आईएएस अधिकारी ही निकले हैं, पीसीएस अधिकारियों की पूरी फौज इस गांव से निकली है. इस गांव के राममूर्ति सिंह, विद्याप्रकाश सिंह, प्रेमचंद्र सिंह, पीसीएस महेंद्र प्रताप सिंह, जय सिंह, प्रवीण सिंह और उनकी पत्नी पारुस सिंह, रीतू सिंह, अशोक कुमार प्रजापति, प्रकाश सिंह, संजीव सिंह, आनंद सिंह, विशाल सिंह और उनके भाई विकास सिंह, वेदप्रकाश सिंह, नीरज सिंह पीसीएस अधिकारी बन चुके थे.

Input from द बेटर इंडिया and गाँव कनेक्शन

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