Indian Railways: रेलवे ट्रैक के बीच पत्थर क्यों डाले जाते हैं? इन कारणों को जानकर हो जाएंगे हैरान

Indian Railways: रेलवे ट्रैक पर जो पत्थर डाले जाते हैं, उन्हें गिट्टी भी कहा जाता है. गिट्टी आमतौर पर छोटे, नुकीले पत्थरों से बना होता है. ये पत्थर एक दूसरे को मजबूती से जकड़कर रखते हैं और कंपन को अवशोषित करते हैं.
Indian Railways रेलवे ट्रैक के बीच पत्थर क्यों डाले जाते हैं इन कारणों को जानकर हो जाएंगे हैरान

Indian Railways रेलवे ट्रैक के बीच पत्थर क्यों डाले जाते हैं इन कारणों को जानकर हो जाएंगे हैरान

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Indian Railways: रेलवे ट्रैक पर पत्थर डाले जाते हैं ताकि ट्रेन की पटरियों को स्थिर रखा जा सके और वे अपनी जगह पर न हिल सकें.  ट्रेन की पटरियां आमतौर पर दो समानांतर स्टील की बनी होती हैं, जो एक निर्धारित दूरी पर बिछाई जाती हैं. इन पटरियों को कंक्रीट या लकड़ी के स्लीपर्स के साथ जगह पर रखा जाता है. लेकिन स्लीपर्स भी ट्रेन के भार और कंपन के कारण हिल सकते हैं। पत्थर स्लीपर्स को एक दूसरे से और जमीन से जोड़ने का काम करते हैं, जिससे वे अपनी जगह पर स्थिर रहते हैं.

रेलवे ट्रैक पर जो पत्थर डाले जाते हैं, उन्हें गिट्टी भी कहा जाता है. गिट्टी आमतौर पर छोटे, नुकीले पत्थरों से बना होता है. ये पत्थर एक दूसरे को मजबूती से जकड़कर रखते हैं और कंपन को अवशोषित करते हैं. मुख्य तीन कारणों से ट्रैक पर पत्थर डाले जाते है.

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जानिए क्यों बिछाए जाते हैं नुकीले पत्थर ?

  1. ट्रैक की स्थिरता और सुरक्षा के लिए: जब ट्रेनें तेज गति से चलती हैं, तो वे कंपन उत्पन्न करती हैं. यह कंपन ट्रैक को हिला सकता है और उसे खराब कर सकता है. गिट्टी ट्रैक को एक जगह पर रखने में मदद करती है और कंपन को अवशोषित करती है. इससे ट्रैक की स्थिरता और सुरक्षा बढ़ जाती है.
  2. ट्रैक पर घास और अन्य पौधों के बढ़ने को रोकने के लिए: गिट्टी रेलवे ट्रैक के आसपास के क्षेत्र को सूखा रखती है, जिससे घास और अन्य पौधे नहीं उग पाते हैं. इससे ट्रैक को नुकसान पहुंचने का जोखिम कम हो जाता है.
  3. ट्रैक के शोर को कम करने के लिए: गिट्टी रेलवे ट्रैक के कंपन को अवशोषित करती है, जिससे ट्रेनों के गुजरते समय होने वाला शोर कम हो जाता है. इससे आसपास के लोगों को शोर से परेशानी कम होती है.

रेलवे ट्रैक पर डाली जाने वाली गिट्टी को विशेष प्रकार के पत्थरों से बनाया जाता है. इन पत्थरों को निम्नलिखित मानकों पर खरा उतरना चाहिए.

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  1. पत्थर मजबूत और टिकाऊ होने चाहिए.
  2. पत्थरों को नुकीले किनारे होने चाहिए, ताकि वे एक दूसरे को अच्छी तरह से जकड़ सकें.
  3. पत्थरों को समान आकार और आकार के होने चाहिए, ताकि वे ट्रैक पर समान रूप से फैल सकें.
  4. भारतीय रेलवे आमतौर पर ग्रेनाइट, ट्रैप रॉक, क्वार्टजाइट, डोलोमाइट या चूना पत्थर से बनी गिट्टी का इस्तेमाल करता है.

ट्रैक पर बिछाई जाने वाली गिट्टी का आकार क्या है ?

भारतीय रेलवे के अनुसार, रेलवे ट्रैक पर बिछाई जाने वाली गिट्टी का आकार 1/2 से 3/4 इंच के बीच होना चाहिए. गिट्टी को ट्रैक के नीचे समान रूप से फैलाया जाता है और फिर इसे स्लीपरों के नीचे डाला जाता है. स्लीपर एक प्रकार की कंक्रीट पट्टी होती है जो ट्रैक को सहारा देती है.

रेलवे ट्रैक पर गिट्टी की देखभाल करना आवश्यक है. समय-समय पर गिट्टी को साफ किया जाना चाहिए ताकि वह मिट्टी या अन्य मलबे से भर न जाए. इसके अलावा, गिट्टी को समय-समय पर बदलना भी आवश्यक है ताकि वह अपनी ताकत बनाए रख सके.

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