Holika 2020 Date: जानिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा और महत्व

Holi/Holika Dahan Date 2020: भारत में हर त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है चाहे वो होली हो या दिवाली। इस साल रंगों का पर्व होली पुरे देशभर में 10 मार्च (मंगलवार) को मनाया जाएगा.

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Holi/Holika Dahan Date 2020: भारत में हर त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है चाहे वो होली हो या दिवाली। इस साल रंगों का पर्व होली पुरे देशभर में 10 मार्च (मंगलवार) को मनाया जाएगा. हिंदू धर्म के अनुसार, होली का पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने गिले-शिकवे भुलाकर और गले मिल कर एक-दूसरे को रंग लगाते हैं.

होली के एक दिन पहले होलिका दहन (Holika Dahan) बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं. मान्यता है कि होलिका दहन के वक्त अग्नि की 5 बार परिक्रमा करने से सभी मनोकामना पूर्ण होता है. आपको बता दें, होलिका दहन को छोटी होली के नाम से भी जानते हैं. पुराणों के अनुसार, होलिका दहन की अग्नि को बहुत पवित्र माना जाता है. क्योंकि ये अग्नि बुराई पर अच्छाई के जीत का प्रतीक है. इस दिन लोग अपने खेतों में हुई नई फसल को अग्नि में भूनकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं.

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कब है होलिका दहन? (Holika Dahan 2020 Date and Time)

साल 2020 में 9 मार्च (सोमवार) को होलिका दहन का पर्व मनाया जाएगा.

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त कब है? (Holika Dahan 2020 Shubh Muhurat)

  1. संध्या काल में 06:22 से लेकर 08:49 मिनट तक।
  2. भद्रा पुंछा: सुबह 09:50 से 10:51 तक।
  3. भद्रा मुखा: सुबह 10: 51 से 12:32 तक।
  4. पूर्णिमा तिथि आरंभ: 9 मार्च 2020, सुबह 03: 03 से।
  5. पूर्णिमा तिथि समाप्त: 9 मार्च 2020, रात 11:16 तक।

होलिका दहन का महत्व और कथा ( Importance of Holika Dahan)

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीनकाल में एक हिरण्यकश्यप राजा था जो भारत पर राज करता था. वह बहुत ही अहंकारी और राक्षसी प्रवित्ति का था. उसका एक बेटा था जिसका नाम प्रहलाद था और वह भगवान का परम भक्त था. हिरण्यकश्यप अपने को भगवान से भी कहीं ज्यादा शक्तिशाली समझता था और उसने अपनी प्रजा से भी कहा था कि वो भगवान की पूजा ना करें और मुझे अपना भगवान माने. लेकिन हिरण्यकश्यप का बेटा प्रहलाद ने अपने पिता की आज्ञा को नहीं माना और भगवान विष्णु की निरंतर आराधना और पूजा-पाठ करता रहा.

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इस बात से परेशान होकर हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने का फैसला लिया. इसके लिए वो अपनी बहन होलिका से कहा कि वो प्रहलाद को अपने गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए जिससे प्रहलाद मर जाएगा। क्योंकि हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वो कभी भी आग से जल नहीं सकती थी. और इसी वरदान का फयदा उठाकर होलिका ने प्रहलाद को अपनी गोद में बैठाकर उसे जलाकर मारने की कोशिश की लेकिन प्रहलाद सारा समय भगवान विष्णु का नाम लेता रहा और बच गया और होलिका जलकर राख हो गई. इसके बाद भगवान विष्णु ने नरसिंघ अवतार धारण कर हिरण्यकश्यप का वध कर दिया. इसी वजह से ये होली का त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर भी मनाते हैं.

होलिका दहन की पूजा विधि

  1. होलिका दहन की पूजा होली से एक दिन पहले शाम को किया जाता है.
  2. सार्वजनिक जगह जहां होलिका बनी हो वहां पर पूजन करें.
  3. होलिका पूजन से पहले गणेश जी का पूजन किया जाता है.
  4. होलिका पूजन के लिए थाली में रोली, चावल, साबुत हल्दी, बताशे, गुलाल और एक लोटा पानी लें.
  5. होलिका पर चढ़ावा अर्पित करके, भगवान नरसिंह का नाम स्मरण करें.
  6. अंत में होलिका दहन करके 5 से 7 बार इसकी परिक्रमा करें.

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Updated On: March 14, 2022 9:09 pm

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