भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस ) के तृतीय वर्ष ओटीसी (ऑफिसर्स ट्रेनिंग कैंप) के सम्मेलन में आज स्वयंसेवकों को संबोधित किया। यहां उन्होंने प्राचीन भारत के इतिहास, दर्शन और राजनीतिक पहलुओं के बारे में बताया. इस दौरान उन्होंने महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, बाल गंगाधर तिलक और सरदार पटेल समेत कई अन्य नेताओं के विचारों को याद किया.
संघ के कार्यक्रम में शामिल होने से पहले प्रणब मुखर्जी संघ के संस्थापक हेडगेवार के घर पहुंचे। यहां उन्होंने विजिटर बुक में हेडगेवार को भारत मां का महान सपूत लिखा। तो आइए आपको बताते हैं प्रणब मुखर्जी है वो मुख्य बातें जो उन्होंने आरएसएस के मंच से कहीं…
- मैं राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर बोलने आया हूं।
- देशभक्ति में देश के सारे लोगों का योगदान है।
- देशभक्ति का मतलब देश के प्रति आस्था है।
- भारत में आने वाले सभी लोग इसके प्रभाव में आए।
- मैं भारत के बारे में बात करने आया हूं।
- हिन्दुस्तान एक स्वतंत्र समाज है।
- सबने कहा है कि हिन्दु धर्म एक उदार धर्म है ।
- राष्ट्रवाद किसी भी देश की पहचान ।
- भारत के दरवाजे सबके लिए खुले हैं ।
- भारतीय राष्ट्रवाद में एक वैश्विक भावना रही है।
- हम एकता की ताकत को समझते हैँ ।
- विविधता हमारी सबसे बड़ी ताकत है।
- हम एकता की ताकत को समझते हैं ।
- सहिष्णुता हमारी सबसे बड़ी पहचान है।
- 1800 साल तकक भारत दुनिया में शिक्षा का केंद्र रहा।
- इसी साल चाणक्य ने अर्थशास्त्र की रचना की ।
- कई शासकों के राज के बाद हमारी संस्कृति सुरक्षित रही ।
- अगर हम भेदभाव, नफरत करें तो पहचान को खतरा है।
- हिंदू, मुसलमान, सिख मिलकर ही राष्ट्र बनाते हैं।
- संविधान से राष्ट्रवाद की भावना बहती है।
- राष्ट्रवाद को किसी धर्म, भाषा, और जाति से बांधा नहीं जा सकता।
- विविधता और टॉलरेंस में ही भारत बसता है।
- 50 साल में मैनें यही सीखा है।
- भारत में 7 धर्म, 122 भाषाएं, 600 बोलियां इसके बावजूद 130 करोड़ की पहचान भारतीय।
- सिर्फ एक धर्म, एक भाषा भारत की पहचान नहीं है।
- हिंसा और गुस्सा छोड़कर हम शांति के रास्ते पर चलें ।
- आज गुस्सा बढ़ रहा है, हर दिन हिंसा की खबर आ रही है।
- आर्थिक प्रगति के बाद भी हैप्पीनेस में हम पिछड़े ।
बता दे, जबसे प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस के न्योता स्वीकारा है तबसे बहुत बड़ी बहस छिड़ गई है। उनके इस फैसले से कांग्रेस पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा हो गई। इससे पहले कांग्रेस और लेफ्ट के नेताओं ने प्रणव मुखर्जी से अनुरोध किया था कि वह वैचारिक मतभेद होने के कारण कार्यक्रम में शामिल न हों।