Diwali 20224 Date: भारत में दीपावली या दीवाली हिन्दुओं के लिए सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है. हिन्दू धर्म के लोग हर साल, बुराई पर अच्छाई और अंधेरे पर प्रकाश की जीत के जश्न के रूप में दिवाली को मनाते है. हर साल दिवाली की तारीखें बदलती रहती हैं और इस साल दिवाली 31 अक्टूबर और 1 नवंबर 2024 को पुरे देश में बहुत धूमधाम से मनाई जाएगी.
2024 में दिवाली कब है? (When is Diwali in 2024)
दीपावली त्यौहार का तीसरा दिन और मुख्य दिन है। इस वर्ष यह त्यौहार 1 नवंबर 2024 को है। यहां पूजा का समय दिया गया है।
- निशिता काल – नवंबर 01, 11:44 PM – 02 नवंबर, 12:36 AM
- अमावस्या तिथि प्रारम्भ – 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 03:52 बजे
- अमावस्या तिथि समाप्त – 1 नवंबर 2024 को शाम 06:16 बजे
- लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त – शाम 05:36 से शाम 06:16 (1 नवंबर 2024)
दिवाली क्यों मनाई जाती है ?
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, दिवाली रावण पर विजय और 14 साल का वनवास पूरा करने के बाद भगवान राम की अयोध्या वापसी के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। इस दिन लोग अपने घरों में दीप जलाते हैं और धन की देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेरजी की पूजा करते है ताकि उनके घर में समृद्धि और खुशहाली आए.
दिवाली 2024 कैलेंडर (Diwali 2024 Calendar)
पांच दिवसीय उत्सव 29 अक्तूबर, 2024 मंगलवार को धनतेरस के साथ शुरू होगा। 31 अक्तूबर को छोटी दिवाली है, इसके बाद 1 नवंबर को दिवाली का मुख्य त्योहार मनाया जाता है। 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा है और अंत में 3 नवंबर को भाई दूज के साथ त्योहार का समापन होता है.
Day 1 | धनतेरस | 29 अक्तूबर 2024 | इस दिन लोग नए बर्तन, आभूषण और धन के प्रतीक के रूप में लक्ष्मी पूजन करते हैं। |
Day 2 | नानका चतुर्दशी | 31 अक्तूबर, 2024 | इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है और इस दिन नरकासुर पर भगवान कृष्ण की विजय का जश्न मनाया जाता है। |
Day 3 | दिवाली | 1 नवंबर 2024 | इस दिन लक्ष्मी पूजा की जाती है और घरों को दीयों से रोशन किया जाता है। |
Day 4 | गोवर्धन पूजा | 2 नवंबर 2024 | यह दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने के सम्मान में मनाया जाता है। |
Day 5 | भाईदूज | 3 अक्टूबर 2024 | यह दिन भाई-बहन के प्यार और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। |
Diwali 2024 Puja Vidhi
- दिवाली पूजन में सबसे पहले श्री गणेश जी का ध्यान करें. इसके बाद गणपति को स्नान कराएं और नए वस्त्र और फूल अर्पित करें.
- इसके बाद देवी लक्ष्मी का पूजन शुरू करें. मां लक्ष्मी की प्रतिमा को पूजा स्थान पर रखें. मूर्ति में मां लक्ष्मी का आवाहन करें. हाथ जोड़कर उनसे प्रार्थना करें कि वे आपके घर आएं.
- अब लक्ष्मी जी को स्नान कराएं. स्नान पहले जल फिर पंचामृत और फिर वापिस जल से स्नान कराएं. उन्हें वस्त्र अर्पित करें. वस्त्रों के बाद आभूषण और माला पहनाएं.
- इत्र अर्पित कर कुमकुम का तिलक लगाएं. अब धूप व दीप जलाएं और माता के पैरों में गुलाब के फूल अर्पित करें. इसके बाद बेल पत्थर और उसके पत्ते भी उनके पैरों के पास रखें. 11 या 21 चावल अर्पित कर आरती करें. आरती के बाद परिक्रमा करें. अब उन्हें भोग लगाएं.
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