Diwali 2021: जानिए दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Diwali 2020 Date: पुरे देश में इस साल दिवाली आज यानी 14 नवंबर को मनाई जा रही है. दिवाली या दीपावली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है. आइए जानते है दिवाली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
Diwali 2021: जानिए दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त (Image Source: Pixabay)

Diwali 2021: जानिए दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त (Image Source: Pixabay)

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Diwali 2021 Date: हिन्दू धर्म में दिवाली पर्व का बहुत बड़ा महत्व है. दिवाली या दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीराम के अयोध्या वापसी पर लोगों ने उनका स्वागत दीप जलाकर किया था. जिसकी वजह से अमावस्या की काली रात रोशन हो गई. इसलिए दिवाली (Diwali 2021 Date) को प्रकाशोत्सव भी कहा जाता है. दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है.

दिवाली से पहले करवा चौथ, गौत्सव, धनतेरस, नरक चतुर्दशी, छोटी दिवाली जैसे त्योहार आते है. दिवाली के एक दिन बाद गोवर्धन पूजा, अन्नकूट महोत्सव, भाई दूज की पूजा की जाती है.

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Diwali 2021 Date

पुरे देश में इस साल दिवाली आज यानी 4 नवंबर 2021 को मनाई जा रही है. दिवाली या दीपावली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है. घर में सुख-समृद्धि बने रहे इसके लिए लोग दिवाली पर मां लक्ष्मी, कुबेर जी और भगवान श्री गणेश की पूजा करते है.

Diwali 2021 Shubh Muhurat

  • लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- 6 नवंबर 2021शाम शाम 06 बजकर 09 मिनट से रात्रि 08 बजकर 20 मिनट
  • दिवाली गणेश लक्ष्मी पूजा समय- 1 घंटे 55 मिनट
  • प्रदोश काल- शाम 17:34:09 से 20:10:27 तक
  • वृषभ काल- शाम 18:10:29 से 20:06:20 तक
  • अमावस्या तिथि आरंभ- 4 नवंबर 2021 को प्रात: 06:03 बजे से.
  • अमावस्या तिथि समाप्त-  5 नवंबर 2021 को प्रात: 02:44 बजे तक.

Diwali 2021 Puja Vidhi

  • दिवाली पूजन में सबसे पहले श्री गणेश जी का ध्यान करें. इसके बाद गणपति को स्नान कराएं और नए वस्त्र और फूल अर्पित करें.
  • इसके बाद देवी लक्ष्मी का पूजन शुरू करें. मां लक्ष्मी की प्रतिमा को पूजा स्थान पर रखें. मूर्ति में मां लक्ष्मी का आवाहन करें. हाथ जोड़कर उनसे प्रार्थना करें कि वे आपके घर आएं.
  • अब लक्ष्मी जी को स्नान कराएं. स्नान पहले जल फिर पंचामृत और फिर वापिस जल से स्नान कराएं. उन्हें वस्त्र अर्पित करें. वस्त्रों के बाद आभूषण और माला पहनाएं.
  • इत्र अर्पित कर कुमकुम का तिलक लगाएं. अब धूप व दीप जलाएं और माता के पैरों में गुलाब के फूल अर्पित करें. इसके बाद बेल पत्थर और उसके पत्ते भी उनके पैरों के पास रखें. 11 या 21 चावल अर्पित कर आरती करें. आरती के बाद परिक्रमा करें. अब उन्हें भोग लगाएं.

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