Diwali 2021 Date: इस साल दिवाली का त्योहार 6 नवंबर 2021, गुरुवार को पुरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाएगी. हिन्दू पंचांग के मुताबिक दिवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है.
दिवाली के दिन लोग भगवान गणेश, धन की देवी लक्ष्मी और धन देवता कुबेर की पूजा करते हैं. जिससे घर में धन-समृद्धि की कभी कमीं नहीं होती है. दिवाली के दिन मां लक्ष्मी के आगमन का प्रमुख दिन माना जाता है. इसलिए घर के आगे रंगोली बनाकर और दीप जलाकर मां लक्ष्मी का स्वागत किया जाता हैं.
दिवाली (Diwali 2021 Date) का त्योहार सुख समृद्धि का त्योहार माना जाता है इस दिन लोग अपने परिवार के साथ मिलकर दीप जलाते है. परिवार के लोग आपस में मिलकर गिफ्ट और मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं. इस दिन अगर आप किसी गरीब को दान करते हैं तो बहुत ही शुभ माना जाता है. लक्ष्मी माता बहुत प्रसन्न होती और आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी करती है.
Diwali 2021 Date and Shubh Muhurat
- लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- 6 नवंबर 2021शाम शाम 06 बजकर 09 मिनट से रात्रि 08 बजकर 20 मिनट
- दिवाली गणेश लक्ष्मी पूजा समय- 1 घंटे 55 मिनट
- प्रदोश काल- शाम 17:34:09 से 20:10:27 तक
- वृषभ काल- शाम 18:10:29 से 20:06:20 तक
- अमावस्या तिथि आरंभ- 4 नवंबर 2021 को प्रात: 06:03 बजे से.
- अमावस्या तिथि समाप्त- 5 नवंबर 2021 को प्रात: 02:44 बजे तक.
Diwali History In Hindi
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार दिवाली (Diwali) के दिन ही भगवन श्रीराम श्रीलंका राजा रावण का वध करके अयोध्या वापस आये थे और अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था. इसी वजह से इस पर्व को दीपावली (Deepawali) के रूप में मनाया जाता है.
Diwali 2021 Puja Vidhi
- दिवाली पूजन में सबसे पहले श्री गणेश जी का ध्यान करें. इसके बाद गणपति को स्नान कराएं और नए वस्त्र और फूल अर्पित करें.
- इसके बाद देवी लक्ष्मी का पूजन शुरू करें. मां लक्ष्मी की प्रतिमा को पूजा स्थान पर रखें. मूर्ति में मां लक्ष्मी का आवाहन करें. हाथ जोड़कर उनसे प्रार्थना करें कि वे आपके घर आएं.
- अब लक्ष्मी जी को स्नान कराएं. स्नान पहले जल फिर पंचामृत और फिर वापिस जल से स्नान कराएं. उन्हें वस्त्र अर्पित करें. वस्त्रों के बाद आभूषण और माला पहनाएं.
- इत्र अर्पित कर कुमकुम का तिलक लगाएं. अब धूप व दीप जलाएं और माता के पैरों में गुलाब के फूल अर्पित करें. इसके बाद बेल पत्थर और उसके पत्ते भी उनके पैरों के पास रखें. 11 या 21 चावल अर्पित कर आरती करें. आरती के बाद परिक्रमा करें. अब उन्हें भोग लगाएं.
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