भारत चीन सीमा विवाद के बीच भारत ने अपना रक्षा सौदा अमेरिका और रूस के साथ बहुत मजबूत किया है. जिसके चलते भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन तिलमिलाए हुए है. इस बीच भारतीय सेना के लिए एक बहुत अच्छी खबर आयी है. अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी बोइंग ने 22 अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में से अंतिम पांच अपाचे हैलीकॉप्टर और चिनूक हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना को पिछले महीने सौंप दिये है.
बोइंग ने कहा कि उसने सभी 22 अपाचे और 15 चिनूक हेलीकाप्टरों को भारतीय वायुसेना को आपूर्ति पूरी कर दी है और वह भारतीय सशस्त्र बलों की संचालन जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. अपाचे हेलिकॉप्टर्स को पाकिस्तान और चीन पर नजर रखने के लिए पंजाब के पठानकोट और जोरहाट एयरबेस पर तैनात किया जाएगा.
आपको बता दें 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पहली बार सरकार बनने के बाद भारतीय सेना के लिए रक्षा सौदों को बहुत मजबूती मिली है. इसी क्रम में सितंबर 2015 में मोदी सरकार ने अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी बोइंग से भारतीय वायुसेना के लिए 22 अपाचे हैलीकॉप्टर और 15 चिनूक हेलीकॉप्टर की खरीद के लिए एक अनुबंध को अंतिम रूप दिया था.
Thank you, @IAF_MCC, for your partnership. We’re happy to have completed the deliveries of the 22 #AH64-E Apache and 15 #Chinook helicopters to India. pic.twitter.com/MLAFFXvWIe
— Boeing India (@Boeing_In) July 10, 2020
वहीं इसी साल भारतीय सेना के लिए 6 अपाचे हेलीकाप्टरों की खरीद के लिए फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत दौरे पर एक अनुबंध पर हस्ताक्षर हस्ताक्षर किये गए थे.
अब जब अमरीका ने भारतीय सेना को ये लड़ाकू हैलीकॉप्टर सौप दिए है तो आप लोगों के मन में ये बातें जरूर आ रही होगी कि अपाचे और चिनूक हैलीकॉप्टर में क्या खासियत है, जो भारत ने इसे अमेरिका से ख़रीदा है. तो चलिए आपको इन दोनों हेलीकाप्टरों के बारे में पुरे विस्तार से बताते है –
अपाचे हेलीकॉप्टर क्या है ?
अपाचे दुनिया के सबसे उन्नत लड़ाकू हेलीकाप्टरों में से एक है. इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल अमेरिका समेत कई अन्य देश करते हैं. यह नवीनतम संचार, नेविगेशन, सेंसर और हथियार प्रणालियों सहित एक ओपन सिस्टम आर्किटेक्चर से लैस है.
जनवरी, 1984 में बोइंग कंपनी ने अमरीकी सेना को पहला अपाचे हेलीकॉप्टर दिया था. तब इस मॉडल का नाम था AH-64A. तब से लेकर अब तक बोइंग 2,200 से ज़्यादा अपाचे हेलीकॉप्टर बेच चुकी है.
अपाचे हेलीकॉप्टर की खासियत
- एएच-64ई अपाचे में लक्ष्य का पता लाने की एक आधुनिक प्रणाली लगी है जो दिन और रात दोनों समय काम करती है.
- हेलीकॉप्टर के बड़े विंग को चलाने के लिए दो इंजन होते हैं. इस वजह से इसकी रफ़्तार बहुत ज़्यादा है.
- अपाचे हेलीकॉप्टर की अधिकतम रफ़्तार 280 किलोमीटर प्रति घंटा.
- अपाचे हेलीकॉप्टर के डिज़ाइन को इस तरह से बनाया गया है कि इसे रडार पर पकड़ना मुश्किल होता है.
- हेलीकॉप्टर के नीचे लगी राइफ़ल में एक बार में 30एमएम की 1,200 गोलियाँ भरी जा सकती हैं.
- इसमें बेहतर की कई आधुनिक लक्ष्य प्राप्ति प्रणाली (टार्गेट एक्विजिशन डेसिग्नेशन सिस्टम) है, जो 24 घंटे हर मौसम में लक्ष्य की जानकारी उपलब्ध कराता है।
- अपाचे हेलीकॉप्टर एक बार में पौने तीन घंटे तक उड़ सकता है. (इनपुट: बोइंग कंपनी की वेबसाइट से)
चिनूक हेलीकॉप्टर क्या है?
चिनूक एक बहुद्देश्यीय वर्टिकल लिफ्ट हेलीकाप्टर है जिसका उपयोग मुख्य रूप से सैनिकों, तोपखाने, उपकरण और ईंधन को ले जाने के लिए किया जाता है. भारत ने सितंबर 2015 में बोइंग के साथ 8,048 करोड़ रुपए में 15 सीएच-47एफ़ चिनूक हेलीकॉप्टर खरीदने का करार किया था.
दुनिया के करीब 25 देशों की सेनाएं चिनूक हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करती हैं. इस हेलिकॉप्टर की सबसे बड़ी ख़ासियत है कि यह छोटे हेलीपैड और घनी घाटियों में भी उतर सकता है.
चिनूक हेलीकॉप्टर की खासियत
- यह रात में भी उड़ान भरने और ऑपरेशन करने में सक्षम होते हैं.
- किसी भी मौसम में उपयोग किया जा सकता है.
- सभी प्रकार के परिवहन में इस्तेमाल किया जा सकता है.
- असैन्य कार्यों जैसे आपदा प्रबंधन और आग बुझाने में.
- इनमें विमान की भांति एकीकृत डिजिटल कॉकपिट मैनेजमेंट सिस्टम है.
- इसमें 11 टन पेलोड और 45 सैनिकों का भार वहन करने की अधिकतम क्षमता है.
- चिनूक हेलीकॉप्टर एक बार में गोला बारूद, हथियारों के अलावा कई सैनिकों भी एक से दूसरे स्थान तक ले जाने में सक्षम है.
- चिनूक हेलीकॉप्टर को किसी भी रडार से पकड़ पाना मुश्किल है.
- इसमें एकीकृत डिजिटल कॉकपिट मैनेजमेंट सिस्टम दिया गया है.
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Updated On: July 13, 2020 5:20 pm