Burning eye home remedies in Hindi: आपने अक्सर देखा होगा कि तेज़ धूप में ज्य़ादातर लोग सन ग्लासेज़ पहने नज़र आते हैं. दरअसल नियमित रूप से सनग्लासेज़ पहनना इनकी आदत नहीं होती, बल्कि ऐसे लोग इस संक्रामक बीमारी से बचने के लिए सनग्लासेज़ का इस्तेमाल करते हैं. आंखों में लाली, जलन और लगातार पानी निकलना या आंखों में खुजली और चुभन हो तो यह कॉर्निया के लिए नुकसानदेह होता है. इससे आंखों की दृष्टि भी प्रभावित हो सकती है. इसलिए जल्द से जल्द डॉक्टर की सलाह लें. ज्य़ादा गंभीर स्थिति में आई हैमरेज की भी आशंका हो सकती है.
आंखों में जलन के कारण
कंजक्टिवाइटिस की वजह से आंखों में जलन होता है. यह एक खास तरह के एलर्जिक रिएक्शन की वजह से होता है. लेकिन कई मामलों में बैक्टीरियल इन्फेक्शन भी इसके लिए जि़म्मेदार होता है. श्वसन तंत्र या नाक-कान, गले में संक्रमण के कारण भी लोगों को वायरल कंजक्टिवाइटिस हो जाता है. इस संक्रमण की शुरुआत एक आंख से ही होती है, लेकिन जल्द ही दूसरी आंख भी इसकी चपेट में आ जाती है।
क्या है कंजक्टिवाइटिस या पिंक आई – What is the Conjunctivitis
आंखों के इस संक्रमण को पिंक आई या कंजक्टिवाइटिस के नाम से भी जाना जाता है. वैसे तो यह कोई खतरनाक बीमारी नहीं है. लेकिन आंखों का संक्रमण होने के कारण ज्य़ादा तकलीफ देह हो जाती है. दरअसल बरसात खत्म होने के बाद भी वातावरण में मौजूद नमी, फंगस और मक्खियों की वजह से बैक्टीरिया को तेज़ी से पनपने का अवसर मिलता है. आंखों का सफेद हिस्सा, जिसे कंजक्टिवाइवा कहा जाता है, बैक्टीरिया या वायरस के छिपने के लिए सबसे सुरक्षित स्थान होता है. इसी वजह से सितंबर-अक्टूबर के महीने में लोगों को आई फ्लू की समस्या होती है. इसके अलावा बदलते मौसम में वायरस ज्य़ादा सक्रिय होते हैं, जिससे आई फ्लू की आशंका बढ़ जाती है.
आंखों में जलन से बचाव एवं उपचार – Burning eye home remedies
- आंखों पर बर्फ की सिंकाई से जलन और दर्द से राहत मिलती है. जहां तक संभव हो, भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें.
- संक्रमित व्यक्ति से हाथ न मिलाएं. उसका चश्मा, तौलिया, तकिया आदि न छुएं। इसी तरह अपनी पर्सनल चीज़ें भी दूसरों के साथ शेयर न करें.
- बारिश के मौसम में स्विमिंग भी आंखों और त्वचा के लिए नुकसानदेह होती है. अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए तो एक सप्ताह से पंद्रह दिनों के भीतर यह समस्या दूर हो जाती है.
- आई फ्लू से निजात पाने के लिए एंटिबाइटल ऑइंटमेंट और ल्यूब्रिकेटिंग आई ड्रॉप की ज़रूरत होती है. डॉक्टर की सलाह के बगैर अपने मन से या केमिस्ट से पूछ कर कोई दवा न लें.
- अपने हाथों को नियमित रूप से हैंडवॉश से साफ करते रहें. आंखों की सफाई का पूरा ध्यान रखें और उन्हें ठंडे पानी से बार-बार धोएं.
- किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें. ऐसी समस्या होने पर बार-बार आंखों पर हाथ न लगाएं. आई ड्रॉप डालने से पहले हाथों को अच्छी तरह धो लें.
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Updated On: June 15, 2022 8:45 pm