Akshaya Tritiya 2021: क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया? जानें इसकी कथा

Akshaya Tritiya 2021: अक्षय तृतीया  (Akshaya Tritiya) या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि मनाया जाता हैं. पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं,
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Akshaya Tritiya 2021: अक्षय तृतीया  (Akshaya Tritiya) या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि मनाया जाता हैं. पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है. हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया को लेकर कई मान्यताएं हैं जिसमें से ये कुछ हैं –

1- भगवान विष्‍णु के छठे अवतार माने जाने वाले भगवान परशुराम का जन्‍म हुआ था। परशुराम ने महर्षि जमदग्नि और माता रेनुकादेवी के घर जन्‍म लिया था। यही कारण है कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्‍णु की उपासना की जाती है। इसदिन परशुरामजी की पूजा करने का भी विधान है।

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2- इस दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। राजा भागीरथ ने गंगा को धरती पर अवतरित कराने के लिए हजारों वर्ष तक तप कर उन्हें धरती पर लाए थे। इस दिन पवित्र गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।

3- इस दिन मां अन्नपूर्णा का जन्मदिन भी मनाया जाता है। इस दिन गरीबों को खाना खिलाया जाता है और भंडारे किए जाते हैं। मां अन्नपूर्णा के पूजन से रसोई तथा भोजन में स्वाद बढ़ जाता है।

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4- अक्षय तृतीया के अवसर पर ही म‍हर्षि वेदव्‍यास जी ने महाभारत लिखना शुरू किया था। महाभारत को पांचवें वेद के रूप में माना जाता है। इसी में श्रीमद्भागवत गीता भी समाहित है। अक्षय तृतीया के दिन श्रीमद्भागवत गीता के 18 वें अध्‍याय का पाठ करना चाहिए।

5- बंगाल में इस दिन भगवान गणेशजी और माता लक्ष्मीजी का पूजन कर सभी व्यापारी अपना लेखा-जोखा (ऑडिट बुक) की किताब शुरू करते हैं। वहां इस दिन को ‘हलखता’ कहते हैं।

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6- भगवान शंकरजी ने इसी दिन भगवान कुबेर माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने की सलाह दी थी। जिसके बाद से अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और यह परंपरा आज तक चली आ रही है।

7- अक्षय तृतीया के दिन ही पांडव पुत्र युधिष्ठर को अक्षय पात्र की प्राप्ति भी हुई थी। इसकी विशेषता यह थी कि इसमें कभी भी भोजन समाप्त नहीं होता था।

अक्षय तृतीया का क्या है महत्व? (Akshaya Tritiya Significance)-

अक्षय तृतीया के दिन शुभ कार्य करने का विशेष महत्व है। अक्षय तृतीया के दिन कम से कम एक गरीब को अपने घर बुलाकर सत्‍कार पूर्वक उन्‍हें भोजन अवश्‍य कराना चाहिए। गृहस्‍थ लोगों के लिए ऐसा करना जरूरी बताया गया है। मान्‍यता है कि ऐसा करने से उनके घर में धन धान्‍य में अक्षय बढ़ोतरी होती है। अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर हमें धार्मिक कार्यों के लिए अपनी कमाई का कुछ हिस्‍सा दान करना चाहिए। ऐसा करने से हमारी धन और संपत्ति में कई गुना इजाफा होता है।

अक्षय तृतीया की कथा (Akshaya Tritiya Katha)-

हिंदु धार्मिक कथा के अनुसार एक गांव में धर्मदास नाम का व्यक्ति अपने परिवार के साथ रहता था। उसके एक बार अक्षय तृतीया का व्रत करने का सोचा। स्नान करने के बाद उसने विधिवत भगवान विष्णु जी की पूजा की। इसके बाद उसने ब्राह्मण को पंखा, जौ, सत्तू, चावल, नमक, गेहूं, गुड़, घी, दही, सोना और कपड़े अर्पित किए। इतना सबकुछ दान में देते हुए पत्नी ने उसे टोका। लेकिन धर्मदास विचलित नहीं हुआ और ब्राह्मण को ये सब दान में दे दिया।

यही नहीं उसने हर साल पूरे विधि-विधान से अक्षय तृतीया का व्रत किया और अपनी सामर्थ्‍य के अनुसार ब्राह्मण को दान दिया। बुढ़ापे और दुख बीमारी में भी उसने यही सब किया।

इस जन्म के अक्षय पुण्य से धर्मदास अगले जन्म में राजा कुशावती के रूप में जन्मे। उनके राज्‍य में सभी प्रकार का सुख-वैभव और धन-संपदा थी। अक्षय तृतीया के प्रभाव से राजा को यश की प्राप्ति हुई, लेकिन उन्‍होंने कभी लालच नहीं किया। राजा पुण्‍य के कामों में लगे रहे और उन्‍हें हमेशा अक्षय तृतीया का शुभ फल मिलता रहा।

अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जन्मोत्सव

पराक्रम के प्रतीक भगवान परशुराम का जन्म 6 उच्च ग्रहों के योग में हुआ, इसलिए वह तेजस्वी, ओजस्वी और वर्चस्वी महापुरुष बने। प्रतापी एवं माता-पिता भक्त परशुराम ने जहां पिता की आज्ञा से माता का गला काट दिया, वहीं पिता से माता को जीवित करने का वरदान भी मांग लिया। इनके क्रोध से सभी देवी-देवता भयभीत रहा करते थे। अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान परशुराम ने धरती पर अवतार लिया था।

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