मोक्ष की धरती काशी में अंतिम संस्कार के लिए मणिकर्णिका और राजा हरिश्चंद्र घाट पर मृतक का आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि काशी में शव वाहिनी (मोटरबोट) सुविधा के लिए अब आधार कार्ड या फिर मृतक से संबंधित कोई भी पहचान पत्र अनिवार्य कर दिया गया है। काशी में यह व्यवस्था एनडीआरएफ के सहयोग से शुरू की गई है। शव वाहिनी की सुविधा उसे ही मिलेगी, जिसके पास मृतक से संबंधित पहचान पत्र मौजूद होगा।
पीएम मोदी ने बनारस में मणिकर्णिका घाट के विकास व शव यात्रियों की सुविधाओं को लेकर दिलचस्पी दिखाई थी। जिसको लेकर गुजरात की सामाजिक संस्था सुधांशु मेहता फाउंडेशन ने पहला शव वाहिनी स्टीमर 28 मार्च 2015 को मुफ्त उपलब्ध कराया था। फाउंडेशन की ओर से वर्तमान में गंगा में चार शव वाहिनी स्टीमर की सुविधा दी गई है।
इस व्यवस्था के तहत अब लोग शव लेकर पहले भैंसासुर घाट जाते हैं और वहां से शव वाहिनी से मणिकर्णिका या फिर हरिश्चंद्र घाट पहुंचते हैं। यह व्यवस्था शहर को जाम से निजात दिलाने के लिए की गई है।
बनारस में आस-पास के क्षेत्रों से भी लोग शव लेकर अंतिम संस्कार के लिए आते हैं। फाउंडेशन ने पाया है कि कुछ लोग हत्या, दहेज हत्या आदि में हुई मौत के मामले में शव लेकर बनारस आकर अंतिम संस्कार करते हैं।